शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

अब गूगल पर हिंदी गाने सुनिए

गाने सुनना सबको पसंद है और अपने पसंद के गाने खोजने के लिए हम इन्टरनेट पर विभिंन् वेबसाइटो की खाक छानते रहते है. अब एक सरल तरीका है.

गूगल भारत ने कल, २१ अक्टूबर, को इन.कॉम, सावन और सारेगामा के साथ साझेदारी में भारतीय संगीत के ऊपर एक वेबसाइट आरम्भ की है - www.google.co.in/music. इस वेबसाइट में आप गाने खोज और सुन सकते है. वेबसाइट में नई-पुरानी बॉलीवुड फिल्मो और एल्बमो के गाने है.

गानों को आप कई तरीको से खोज सकते है फिल्म का नाम, गाने का नाम, गायक का नाम, अभिनेता या अभिनत्री का नाम तथा गीतकार का नाम.

ये वेबसाइट गूगल लैब का हिस्सा है और इस पर अभी काम चल ही रहा है. अभी वेबसाइट पर केवल हिंदी गाने ही मोजृद है. गानों की सूचि (playlist) बनाने का कोई विकल्प नहीं है. गाने सुनने के लिए आपके कंप्यूटर के ब्रोसर (browser) में फ्लैश (Flash) होना जरुरी है. मुझे उमीद है की गूगल समय के साथ इस वेबसाइट के ऊपर और काम करेगा और जो थोडी बहुत कमियॉ है उनको दूर कर देगा.

दीपावाली पर ३ जी की धूम


भारत में सभी मोबाइल कंपनियाँ खुद को ३ जी प्रारंभ कराने की तैयारी में लगी हुए है. एयरटेल और टाटा डोकोमो ने आगे बढते हुए ३ जी को दीपावली से शुरु करने की घोषणा कर दी है

वोडाफोने ने ३ जी को २०११ की पहली चौथाई से प्रारंभ करने की घोषणा की है

अभी किसी भी कंपनी ने अपनी दरों का खुलासा नहीं किया है.

३ जी से सभी को बहुत उम्मीद है, और ये माना जा रहा है की इससे सुचना क्रांति में एक नए दौर की शुरुवात होगी. ३ जी सुविधा से हम तेज इन्टरनेट की सुविधा अपने मोबाइल पर पा सकते है, जिसके उपयोग से आप मोबाइल पर विडियो कांफेरेंस, मोबाइल टीवी और अच्छ खेलो का अनुभव कर सकंगे. यही दखते हुए सभी मोबाइल कंपनियाँ अच्छे मोबाइल सॉफ्ट्वे और अन्य सेवाएँ तैयार करने में लगी हुए है. टाटा ने इसके लिए जापान की कंपनी एनटीटीडोकोमो (NTTDoCoMo) से अनुभंध कर लिया है.


एयरटेल का ३ जी पेज


बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

बच्चों के लिए मोबाइल

स्कॉलेस्टिक (Scholastic) नाम की कंपनी ने बच्चों के लिए एक खास यन्त्र बनाया है जिसके द्वारा वो अपने दोस्तों को लिखित सन्देश भेज सकते है.

बच्चे अधिकतम २४ दोस्तों का समूह बना सकते है और ६०० फूट तक के दुरी से सन्देश भेज सकते है. इस पर बीच में आने वाली दिवार का कोई असर नहीं पड़ता है. इससे आप ४० अंको तक का सन्देश भेज सकते है.

मोबाइल जैसा दिखने वाले इस यन्त्र में ३ सेल लगते है. कंपनी ने इसका मूल्य १६ अमेरिकी डॉलर रखा है जो भारतीय मुद्रा में लगभग ७५० रुपया है.

लगता है अब छोटे बच्चे भी मोबाइल से अछुते नहीं रहंगे

सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

नोकिया ने ओवी पत्रिका का दूसरा अंक जारी किया

ओवी, नोकिया का ब्रांड है जिसके द्वारा वो इन्टरनेट से जुडी सुविद्याँए देता है. अपने ओवी को अपने नोकिया मोबाइल के ऐिप्लकेशन या वेब भाग में देखा होगा. ओवी पाँच मुख्य वर्गो में सुविद्याए देता है – मोबाइल खेल, मोबाइल मानचित्र, गाने, मीडिया, मोबाइल के लिए सॉफ्टवेयर. ये सुविद्याए दोनों तरह से है – मुफ्त तथा खरीद कर.

मोबाइल सॉफ्टवेयर बहुत रोचक है – आप अपने मोबाइल पर ईमेल देख सकते हैं जैसे की आप अपने कंप्यूटर पर देखते है. इसी तरह आप फेसबुक, ट्विट्टर, लिंक्डईन मोबाइल पर देख सकते है. मुख्य समाचारपत्र मोबाइल पर पढ सकते है. मोबाइल सॉफ्टवेयर की सीमा नहीं है और अब जब मोबाइल पर इन्टरनेट इतना सस्ता हो गया है तो आपको इसको जरुर इस्तमाल करना चाहिए.


नोकिया ने ओवी पत्रिका का दूसरा अंक जारी किया है. इसमें आप ओवी सुविद्या के बारे में और अधिक जानकारी पाएंगे. पत्रिका मुफ्त में प्राप्त करने के लिया http://promotions.ovi.com/guide.html जाये

बुधवार, 13 अक्टूबर 2010

भारतीय रुपये के चिन्ह् को यृनिकोङ की मान्यता मिली

अम्बिका सोनी द्वारा १५ जुलाई को जारी किए गए भारतीय रुपये के चिन्ह् को यृनिकोड संघ से मान्यता मिल गई है. यृनिकोड संघ ने यृनिकोड मानक ६.० (Unicode Standard 6.0) जारी किया है जिसमे २००० से अधिक चिह्न है जिनमें एक चिह्न रुपया भी है. भारतीय मुद्रा का चिह्न तीन महीने से भी कम समय में इस सूची में जुड गया है जो कि सराहनीय है.

लेकिन अभी आप रुपये के चिह्न को $ या के तरह टाईप नही कर सकते है क्योंकि अभी किसी भी प्रमुख फॉन्ट परिवार (Font Family) ने यृनिकोड मानक ६.० को अपनाया नही है अगर आप रुपये के चिह्न का प्रयोग करना चाहते है तो आप दिजा ॰यु (DejaVu fonts) फॉन्ट का इस्तेमाल कर सकते है

एक बार फॉन्ट परिवार सुधार कर लेगें तो आप अपने वेबसाइट पर HTML कोड &#x20b9 को रुपये के चिह्न के लिए इस्तेमाल कर सकते है या ALT बटन के साथ 20B9 दबा कर Word या Excel या किसी और सॉफ्टवेयर मे इस्तेमाल कर सकते है

भारतीय सरकार ने शुरुवात में अंक कोड U+0971 मांगा था जो की देवनागरी अंको के कोड माला में है, लेकिन यृनिकोड संघ ने कोड U+20B9 को रजामंदी दी है जो की दूसरी मुद्राओ के कोड माला में है.

सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

मोबाइल पर असीमित इन्टरनेट की सुविधा

भारत में सभी मुख्य मोबाइल कंपनिया असीमित इन्टरनेट की सुविधा दे रही है. रूपये ९८ या उससे कम में आप पुरे महीने अपने मोबाइल पर इन्टरनेट इस्तेमेल कर सकते है. कुछ कंपनियों ने उसकी अधिकतम डाउनलोड सीमा २ GB रखी हुई है जो की बहुत ज्यादा है, और आप निश्चंत हो कर फेसबूक, ईमेल, ऑरकुट तथा अन्य वेबसाइट को अपने मोबाइल पर देख सकते है

एयरटेल

रुपया ९८

आधेक आधेक जानकारी के लिए: http://www.airtel.in/wps/wcm/connect/airtel.in/airtel.in/home/foryou/mobile/prepaid/tariffs/PG_FY_MB_PreP_Tariff_Detail/?CIRCLE=2&CIRCLENAME=Delhi&ID=1507&SERVICENAME=Internet%20Recharge%20RC%2098&link=S

वोडाफोन

रुपया ९५

आधेक जानकारी के लिए: http://www.vodafone.in/existingusers/Pages/MediaRoom_PressRelease.aspx?rid=923

एयरसेल

रुपया ९८

आधेक जानकारी के लिए: http://www.aircel.com/AircelPortal/aircel.portal?_nfpb=true&_pageLabel=Circles_delhi_pages_VAS_AircelPocketInternet

आईडिया

रुपया ९८

आधेक जानकारी के लिए: http://www.ideacellular.com/IDEA.portal?_nfpb=true&_pageLabel=IDEA_Page_GPRS

बीएसएनएल

रुपया ८९

आधेक जानकारी के लिए: http://www.bsnl.co.in/service/mobile_gprswap.htm


टाटा डोकोमो

रुपया ९५

आधेक जानकारी के लिए: http://www.tatadocomo.com/gprs-national-tariff.aspx#tab1

विरगिन

रुपया ९६

शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

वेबसाइट कैसे बनाये

इंटरनेट के विकास से दुनिया में नई सुचना क्रांति की शुरुवात हो गई है. वेबसाइट आज हमारी जिंदिगी का अभिनं अंग बन गया है।

अपनी एक वेबसाइट की जरुरत आजकल सबको लगती है, लेकिन इसके विकास की प्रक्रिया क़ी जानकरी ना होना हमें डरता है। तकनीकी विकास के कारण वेबसाइट बनाने में पैसा भी अब बहुत कम लगता है।

वेबसाइट बनाने में पाच चरण मुख्य हैं:

  1. नाम पंजीकृत करना (Domain Name Registration)
  2. जगह लेना (Website Hosting)
  3. वेबसाइट या पपने बनाना (Website Development)
  4. वेबसाइट का प्रचार (Website Promotion)
  5. वेबसाइट का रख-रखाव (Website Maintenance)

नाम पंजीकृत करना (Domain Name Registration)

नाम पंजीकृत कराना इसका पहला स्तर है. ये वो नाम है जिससे आपकी वेबसाइट जानी जायगी और लोग इसको एड्रेस बार मैं टाइप करके खोलेंगे.

वेबसाइट नाम के मुख्य प्रकार:

.com: ये व्यावसायिक वेबसाइट के लिए इस्तमाल होता है. उदहारण के लिए google.com, yahoo.com, facebook.com इत्यादि

.org: ये लाभ-निरपेक्ष वेबसाइट के लिए इस्तमाल होता है. दूसरे शब्दों में वो संस्था जिसका मक्सद मुनाफा नहीं है. उदहारण के लिए ट्रस्ट, सोसाइटी, इत्यादि

.co: सहकारिता (Cooperation) वेबसाइट के लिए इस्तेमाल होता है.

.biz: ये व्यापारिक संस्थान की वेबसाइट के लिए इस्तमाल होता है.

.in: देश के लिए खास नाम एक नयी कणी है. .in भारत के लिए इस्तेमाल होता है. इसको आप .com, .org या िकसी और नाम के साथ भी जोड़ सकते है. उदहारण के लिए .co.in, .org.in इत्यादि

.com और .org सबसे जयादा इस्तेमाल होते है.

आपके पसंद के नाम को खोजने में http://iwantmyname.com/ या https://domize.com/ आपकी मदद करेगी.

वेबसाइट का नाम पंजीकृत करने की कीमत ३०० से शुरू हो जाती है. ये शुल्क हर साल देना होता है. मैं ये ही सलाह दूँगा की आप एक साथ एक से अधिक वर्षो के लिए पंजीकृत करा ले.


जगह लेना (Website Hosting)

ये वैसे ही है जैसे दफ्तर के लिए जगह किराये पर लेना. आपको अपनी वेबसाइट के पंनो के लिए डाटा सेंटर के कंप्यूटर में जगह लेनी होती है. अपनी जरुरत के मुतािबक आप िजतनी जगह चाहे ले सकते है १० mb या 2 GB और अगर आपकी वेबसाइट बहुत बड़ी है तो आप एक पूरा कंप्यूटर ही किराये पर ले सकते है (Dedicated Hosting)

होस्टिंग दो तरीके की होती है विंडोस (Windows) या लिनुक्स (Linux). साधारण वेबसाइट में इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेिकन बड़ी या जटील वेबसाइट के लिया जगह लेते वक्त इसका बहुत धयान रखना पड़ता है.

नाम पंजीकृत करने और जगह लेने के लिए बहुत कंपनीया है. इनमे से कुछ मुख्य ये है:

नेट४इडिंया (Net4India): http://www.net4.in

स्पेक्ट्रानेट (Spectranet): http://www.spectranet.in

रीडिफ़ (Rediff): hosting.rediff.com

पुग्मर्क्स (Pugmarks): http://www.pugmarks.in/

अन्य


वेबसाइट या पपने बनाना (Website Development)

तकनी विकास से वेबसाइट बनाना अब बहुत सरल हो गया है. सॉफ्टवेर जैसे की द्रेंवेअवर (Dreamweaver) या फ्रंटपेज (Frontpage) के इस्तमाल से आप अपनी पहली वेबसाइट कूद बना सकते है. इन्टरनेट पर इसके बारे में बहुत कुछ दिया गया है जो आपको मदद करेगा.

इस काम के लिए आप कीसी कंपनी से भी मदद ले सकते है. भारत में वेबसाइट बनाने वाली बहुत सारी कंपनिया है. मैं आपको सलाह दूँगा कि उस कंपनी को काम दे जो आपके पास मे हो.

वेबसाइट का प्रचार (Website Promotion)

आपकी वेबसाइट बनाने की मेहनत और पैसा तभी सफल होगी जब उसको लोग देखंगे. वेबसाइट का प्रचार करने के दो मुख्य प्रकार है इन्टरनेट के द्वारा (online) तथा पारंपरिक तरीकों से (offline)

इन्टरनेट के द्वारा वेबसाइट का प्रचार (Online Website Promotion)

इन्टरनेट पर सर्च इंजन (जैसे की गूगल, बिंग, याहू) प्रचार का सबसे बड़े माध्यम है. ८०% लोग अपने उपयोग की वेबसाइट सर्च इंजन के द्वारा ढूढते है. वैसे तो आज कल सर्च एनगिने इतने बुद्धिमान हो गए है की वो आपकी वेबसाइट को स्वयं ही तलाश कर लेंगे पर इसमें समय लग सकता है. इसलिए ये ठीक रहगा की आप अपनी वेबसाइट को खुद ही पंजीकृत कर दे. सभी मुख्य सर्च इंजन का पंजीकरन पाना होता है.

गूगल: https://www.google.com/webmasters/tools/home?hl=en

याहू: http://siteexplorer.search.yahoo.com/

बिंग: http://www.bing.com/toolbox/webmasters/

ये दर्ज कराना मुफ्त में होता है.

आप अपनी वेबसाइट की जानकारी फोरम, ऑरकुट, फेसबूक, ट्विट्टर, ऑरकुट इत्यादी में भी दे सकते है.

पारंपरिक तरीको के द्वारा वेबसाइट का प्रचार (Promote Website Offline)

परचार का मकसद यही है की आपकी वेबसाइट की जानकारी अिधक से अिधक लोगो तक पहुचे, इसलिय जहाँ भी हो सके अपनी वेबसाइट का नाम लीखे, जैसे की - नाम-पत्रक, विवरण पुस्तिका, पुस्तिका, पत्र, विज्ञापन, पोस्टर इत्यादि

वेबसाइट के दर्शको की जानकारी

वेबसाइट में आने वाले दर्शको की जानकारी रखना बहुत जरुरी है. इसके लिए बहुत सारी प्रणाली मोजुद है. गूगल का एनालिटिसच्स (Google Analytics) इनमे से एक है और बहुत आधुनिक और उपयोगी है. ये सुविधा पूरी तरह से मुफत है. इसके द्वारा आप अपनी वेबसाइट में आने वाले दर्शको की संख्या, रहने का स्थान (देश, राज्य), आने का माध्यम इत्यादी जान सकते है.

वेबसाइट का रख-रखाव (Website Maintenance)

ये जरुरी है की आपकी वेबसाइट में नवीनतम और सही अंतर्वस्तु अंश हो. गलत, अधूरे या पुराना अंतर्वस्तु अंश आपकी या आपकी संस्था की साख को भी खराब करता है. ये धयान रखे की वेबसाइट पर कोई लिंक (link) टुटा हुआ ना हो.

अपना दर्शको की प्रवृत्ति को लगातार देखे तथा उसके अनुसार अपनी वेबसाइट में परिवर्तन करे

अपने वेबसाइट की क्नोलोजी को भी बदलते रहे और नए तकनीको को अपनी वेबसाइट में डालते रहे.

मैं उमीद करता हू कि या ये लेख आपको वेबसाइट बनने में कुछ मददगार होगा. आप निसंकोच अपने सवाल मुझे भेज सकते है, मैं आपकी मदद करने का प्रयास करूँगा.

Calling children back: Is it possible to initiate reverse migration in Uttarakhand?

by  Yugal Joshi Uttarakhand has around 16,500 villages, of which 734 have become ghost villages and 1,048 villages are uninhabited   Winter ...